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بوی عطر یار دارد جمعه ها
وعده دیـدار دارد جـمعه ها
جـمعـه ها دل یاد دلـبر می کند
نغمه یابن الحسن سر می کند
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پدر کودک را بلند کرد و در آغوش گرفت.
کودک هم می خواست پدر را بلند کند.
وقتی روی زمین آمد دست های کوچکش
را دور پاهای پدر حلقه کرد تا پدر را بلندکند
ولی نتوانست. با خود گفت حتماً چند
سال بعد می توانم.
بیست سال بعد پسر توانست پدر را بلند کند.
پدر سبک بود:
به سبکی یک پلاک و چند تکه استخوان
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پسرش که شهید شد دلش سوخت.
آخه یادش رفته بود برای سیلی ای که
تو بچگی بهش زده بود، عذرخواهی کنه.
با خودش گفت:
" جنازه ش رو که آوردن صورتشو می بوسم. "
آوردنش . . . ولی...
سر نداشت . . .
- ۹۴/۱۱/۰۸